Tuesday 15 October 2013

विधानसभा में सबसे आगे

विधानसभा आमजन के एक-एक कीमती वोट का महान आगार स्थल है। जनता जिन प्रतिनिधियों को बहुत उम्मीद से चुनकर एक बड़ी हैसियत देती है, वे सभी विधानसभा में बैठकर जनता के लिए कार्य करते हैं। लोकतंत्रीय पद्धति के अनुसार जनता के लिए, जनता के द्वारा और जनता के लिए किया जाने वाला शासन सच्चा लोकतंत्र है। इस लिहाज से विधानसभा एक ऐसा स्थल है जिस पर राज्य की हर उम्मीद टिकी होती है। निश्चय  ही जिम्मेदारी का बोझ बहुत भारी होता है।

विगत कुछ वर्षों में लोकतंत्र में ’’लोक’’ ’’तंत्र’’ से ज्यादा महत्वपूर्ण हुआ है। इसका कारण बढ़ती राजनीतिक चेतना, शिक्षित युवा, समझदार मतदाता और प्रभावी मीडिया जिम्मेदार हो सकता है। लेकिन यह सच है कि आमजन अब आम नहीं रहा  और अपने प्रतिनिधि पर कड़ी नजर रखना एक परंपरा बनती जा रही है। लोकतंत्र के हित के लिए यह बहुत अहम भी है।

इसी अहम परंपरा के तहत अब विधानसभा ने भी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड जारी करना आरंभ कर दिया है। इस रिपोर्ट कार्ड में विधानसभा में होने वाली बैठकों, विधायकों की उपस्थिति, उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे अथवा सवाल तथा जनता के बीच जाकर अहम मुद्दों पर किए गए धरने प्रदर्शन  तक शामिल किए जाते हैं। इसके बाद विधायकों का यह ब्यौरा साफ हो जाता है कि कौन विधायक कितने दिन विधानसभा में आया। कितनी कार्यवाहियों में उसने भाग लिया। जनहित के कितने मुद्दे उसने उठाए और कितनी बार जनता के लिए धरने  प्रदर्शन किए। इस आधार पर विधायक का एक रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है। हर गतिविधि के लिए अंक निर्धारित होते हैं और फिर सभी का योग कर विधानसभा में विधायक की स्थिति साफ की जाती है। इससे जनता को यह मैसेज जाता है कि उनके द्वारा विधानसभा में चुनकर भेजा गया प्रतिनिधि किस तरह का काम कर रहा है। यह एक सराहनीय प्रयास है। राजनीतिक शिक्षा और चेतना को बढ़ाने में यह कदम कारगर साबित हो रहा है।


इस रिपोर्ट कार्ड से कई विधायकों को जहां लाभ होता है वहीं कई विधायकों के लिए मुसीबत भी खड़ी हो जाता है। वे जनता के सामने बेनकाब हो जाते हैं। कई दफे चेहरा उजला निकलता है और कई बार काम करने की निराशा  साफ हो जाती है।

2013 में विधानसभा के अंतिम सत्र के बाद जब यह रिपोर्ट कार्ड सामने आया तो जयपुर में सबसे ज्यादा अंक बटोरने वाले नेता घनश्याम  तिवाड़ी बने। उन्होंने 203 अंक अर्जित किए और अपने क्षेत्र के चहेते बन गए। अपनी इस उपलब्धि को उन्होंने पोस्टरों और फेसबुक के माध्यम से प्रशंसकों से साझा भी किया। उनके क्षेत्र सांगानेर के वासियों ने उनकी इस उपलब्धि पर बधाईयां भी दी। आगामी चुनाव में इसका असर भी देखने को मिलेगा।

कहीं कहीं इस रिपोर्ट कार्ड ने उल्टा असर भी कर दिया। इसका उल्टा असर बगरू विधायक गंगा  देवी पर हुआ। दरअसल गंगा  देवी रिपोर्ट कार्ड के अनुसार सबसे सुस्त विधायक साबित हुई। क्षेत्र में तो वो जनता से ज्यादा मिली ही विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराई। रिपोर्ट कार्ड में वे बहुत पीछे रह गई। क्षेत्रवासियों में इसको लेकर आक्रोश  भी भरा। लेकिन आक्रोश  जाहिर करने के तरीके भी बदल गए हैं। क्षेत्रवासियों में किसी शरारती तत्व ने जयपुर भर में गंगा  देवी के गुमशुदा  हो जाने के पोस्टर चस्पा कर दिए। विधायक जी इससे पानी-पानी हो गई और तुरंत प्रकट होकर जनता को एहसास कराया कि वे गुमशुदा  नहीं हैं।

किसी
 अच्छे काम के परिणाम अच्छे भी निकलते हैं और किसी किसी के लिए बुरे भी। लेकिन राजनीति में अच्छे कार्यों के परिणाम अच्छे ही निकलते हैं, यह तय है।

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